कहीं घूमने जाने का मन था तो सोचा क्यों न मनाली जाया जाए। फिर क्या था बन गया प्लान।
बैग पैक किया और चल दिए मनाली की तरफ।
मनाली ऐसा हिल स्टेशन है कि कितनी भी बार जाओ हर बार अलग ही अनुभव होगा।
एक तो यहाँ जाने का रास्ता बहुत ही अच्छा लगता है। हम बहुत ही ऊंचाई पर चलते है तथा व्यास नदी भी सड़क के साथ साथ में चलती है। बहुत ही सुन्दर नज़ारा होता है जब हम मनाली के लिए निकलते है , खासकर मंडी को निकलने के बाद में जब वो बाँध आता है।
इससे पहले भी मनाली जा चुके थे लेकिन कभी भी रोहतांग पास नहीं जा पाए।
इस बार रोहतांग पास देखने का बहुत मन था।
रास्ते में कहीं |
ये पुल बहुत कमाल का है |
इस बार हम अपनी गाड़ी से गए थे इसलिए सफर में अत्यधिक आनंद आया। जहा मन करे रुक जाओ , नज़ारा देखो, तस्वीरें खींचो फिर चल दो।
वास्तव में सफर बहुत अच्छा रहा।
सामने कुछ दिखा क्या ? |
ये नज़ारा सुबह सुबह का था जब बादल भी पहाड़ों से नीचे आ गए थे। |
होटल से दिखने वाला नज़ारा |
मैं सुबह उठा तो बाहर निकलकर देखा कि बादल पहाड़ो से भी निचे आ गए है। ऐसा नज़ारा मैंने पहले कभी नहीं देखा था इसलिए देखकर मन काफी व्याकुल हो उठा।
हम जहां पर रुके थे वहाँ पर एक बहुत ही बड़ा पहाड़ था जिस पर ये धुंध छई हुयी थी।
जब हम नजदीक में होते है तो हमें ये धुंध ही दिखाई देती है लेकिन दूर से देखने पर लगता है कि ये बादल है।
ये नज़ारा काफी सुन्दर था |
वैसे मैंने बहुत ही कम लिखा है. फिर भी बताना कि कैसा लिखा है और कुछ कमी हो तो जरूर बता देना।
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