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रविवार, 1 जनवरी 2017

द्वारका यात्रा - दिल्ली से वड़ोदरा गुजरात

दोस्तों ये यात्रा  द्वारका (गुजरात) की जिसकी शुरुआत हरियाणा के जिला फरीदाबाद से हुई । 
हमारा प्लान ये था कि हम द्वारका के लिए गुजरात संपर्क क्रान्ति एक्सप्रेस से वडोदरा तक जायेंगे और दिनभर वहाँ पर घूमेंगे और फिर शाम को ही वडोदरा से सीधे द्वारका के लिए ट्रेन पकड़ लेंगे। इसी प्लान को ध्यान में रखते हुए हमने ट्रेन की टिकट बुक कर ली।
हम बिल्कुल अपने प्लान  के हिसाब से चल दिए। 
सबसे पहले हम हज़रत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन खोजने लगे फिर हमें अपनी ट्रेन वाला प्लेटफार्म मिल गया तथा हम ट्रेन के आने का इंतज़ार करने लगे । 
 कुछ समय इंतजार करने के बाद हमारी ट्रेन (गुजरात संपर्क क्रांति एक्सप्रेस) आ गयी और हम अपने वाले डिब्बे में बैठ गए। 
जब ट्रेन मथुरा में रुकी तो हमने वहाँ के स्टेशन 
 के फोटो खींचे जिन्हें आप नीचे वाली तस्वीरों में देख सकते हैं। 

सबसे पहली फोटो मथुरा के रेलवे स्टेशन की 


मथुरा जंक्शन 

एक फोटो ट्रेन का भी हो जाये 


एक फोटो चलती हुयी ट्रेन से।

हम शाम के समय ट्रेन में बैठे थे और सुबह करीब चार बजे वडोदरा स्टेशन पर उतर गए।
जब हम वडोदरा के स्टेशन पर उतरे तो हम ने देखा कि वहां का रेलवे स्टेशन बहुत ही साफ सुथरा था।
गुजरात में सभी लोग साफ सफाई का बहुत ख्याल करते हैं और वह यह भी ध्यान रखते हैं कि कहीं गंदगी तो नहीं इसलिए वहां पर रेलवे स्टेशन बहुत ही साफ सुथरा था।
 रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर ही हमारे जानकार के रिश्तेदारों का घर था। जहां पर हमें जाना था। वहां तक जाने के लिए हम एक ऑटो वाले के पास गए और फोटो वाले को जाने के लिए एड्रेस बताया। ऑटो वाला हमें वहां तक छोड़ने का डबल किराया बताने लगा , हमने कहा की इतना ज्यादा किराया कैसे मांग रहे हों ?
 तो ऑटो वाले ने कहा कि नाईट चार्ज लगेगा
 हमने कहा कि अब तो सुबह होने ही वाली है तो हम कुछ देर तक इंतज़ार कर लेते है उसके बाद चल देंगे। उसके बाद पता नहीं ऑटो वाले के दिमाग में क्या आया फिर वह हमसे कहने लगा कि चलो कुछ कम ही दे देना और फिर हम उसके ऑटो बैठ गए ।  
ऑटो वाले ने हमें सही समय पर उनके घर पर पहुंचा दिया। 
वहां पहुँच कर हम नहा कर फ्रेश हो गए और उसके बाद हमने नाश्ता किया। जहां पर हम रुके थे वहां पर सभी सदस्यों का व्यवहार काफी अच्छा था।  सभी ने हमसे बहुत अच्छे से बातें की और वडोदरा में घूमने की जगह के बारे में बताया। वहां उन सब से मिलकर हमें बहुत अच्छा लगा।
अब हमारे पास शाम तक का समय था क्योंकि द्वारका जाने वाली गाड़ी शाम के समय की थी तो हमने सोचा कि क्यों न वडोदरा मे घूम लिया जाये।
घूमने की जगहों के बारे में हमें पहले ही पता चल गया था उसके बाद हमने तय किया कि हम चिड़ियाघर में ही घूम लेते हैं उसके बाद वापस आ जाएंगे और कुछ देर आराम करने के बाद में रेलवे स्टेशन की तरफ निकल जाएंगे ।


उनके घर के बाहर खड़े जितेंद्र एवं दीपिका
जूलॉजिकल गार्डन में अंदर की तरफ आते हुए जितेंद्र कुमार एवं दीपिका 

 यह है बारहसिंघा


 सुंदर दिखने वाला पक्षी  अलग प्रजाति के पक्षी
 यह पहली बार था कि जब हमने चिड़ियाघर देखा था इससे पहले हम कभी भी किसी भी चिड़ियाघर में नहीं गए थे।
जब हमने चिड़ियाघर में प्रवेश किया तो शुरुआत में छोटे छोटे पक्षियों को दिखाया गया है जिसमें वह एक छोटे छोटे जाल के अंदर में थे तब मुझे लगा कि यह तो बहुत ही छोटा चिड़ियाघर है यहां पर पक्षी ज्यादा है बाकी जानवर बहुत कम है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था जैसे-जैसे हम आगे की तरफ बढ़ते गए तो हमें धीरे-धीरे अन्य जानवर भी नजर आने लगे।
यहां पर हमने कई प्रजाति के पक्षियों को देखा जिन्हें देखकर बहुत ही अच्छा लगा और बहुत सारी जानकारी प्राप्त हुई हुई।
इन पक्षियों को देखने के बाद में हमें बंदर नजर आया और बंदर के बाद में अलग-अलग तरह बत्तख नजर आने लगी।
कछुआ बहुत बड़े थे यहां पर इतने बड़े कछुआ मैंने जिंदगी में पहली बार देखे थे और इनकी संख्या भी काफी ज्यादा थी।
इससे पहले कछुआ हमने अपने गांव में ही देखे थे बरसात के समय में कभी-कभी देख जाया करते थे लेकिन यहां पर एक साथ इतने सारे कछुआ एवं इतने बड़े कछुआ देखना सौभाग्य की बात थी। 


 जूलॉजिकल गार्डन के अंदर चलती हुई टॉय ट्रेन 

जितेंद्र कुमार एवं दीपिका तथा पीछे चलती हुई टॉय ट्रेन

इतने बड़े कछुए मैंने पहली बार देखें

एक ही मुद्रा में बहुत देर तक खड़ी हुई एक काली बत्तख



 यह है शुतुरमुर्ग
जाल के अंदर बंदर 
दो बिल्लियों वाली कहानी तो सुनी होगी आपने जिसमें दो बिल्ली एक रोटी के लिए झगड़ा करती है एवं एक बंदर को उस रोटी का बंटवारा करने के लिए चुन लेती है  तो ऊपर वाली जो दीपिका के पीछे की तस्वीर है वह इसी कहानी को बयां कर रही है।

धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहें इसके बाद में दूसरे वाले सेक्शन में गए जहां पर हम ने सबसे पहले भालू देखा था वह जाल के अंदर बंद था और हम उसको देख रहे थे वह हमें देख रहा था वह बेशक जाल के अंदर था लेकिन हम को डर लग रहा था और हम उससे दूरी बनाए हुए थे।
उसके बाद आगे बढ़े तो हमने देखा कि कुछ जानवर तो अंदर ही बंद है बाहर नहीं निकल रहे इसका कारण यह था कि हम दोपहर के समय गए थे जिस समय बहुत सारे जानवर अंदर आराम करते हैं लेकिन कुछ जानवर तो ऐसे थे कि बाहर भी आराम फरमा रहे थे और बिल्कुल मस्त सो रहे थे।

 इस तरह से सोते हुए मैंने किसी भी जानवर को नहीं देखा  लेकिन चिड़ियाघर में आने के बाद पता चला कि जानवर एक तरह से भी सोते हैं।
यह जागा हुआ था और अपने जाल के अंदर में टहल भी रहा था और उसने दो-तीन दहाड़ भी लगाई थी जिसकी वीडियो आप मेरे यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं।

 यह है हिरण
 दीपिका एवं धर्मेंद्र
इस मगरमच्छ को एक ही मुद्रा में पड़े पड़े बहुत देर चुकी थी।
यहां पर इस मगरमच्छ के साथ में बहुत सारे मगरमच्छ भी थे और कुछ छोटे-छोटे बच्चे भी थे।
इस चिड़ियाघर में मैंने इतने जानवर देखे हैं जितने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखे जबकि इनमें से कुछ जानवर को मैंने टीवी पर देखा था लेकिन अब खुद इन्हें अपने सामने देखना बहुत ही अच्छा लग रहा था।
 टॉय ट्रेन राइड करते हुए कुछ लोग
 सुंदर पक्षी



 यही है वह दोनों जिनके यहां हम रुके थे। इनके यहां पर रुकना हमेंं जिंदगी भर याद रहेगा। यह हमारे जानकार के रिश्तेदार हैं एवं रिश्ते में हमारे नाना-नानी लगते हैं।
यहीं पर हमने जिंदगी में पहली बार डाइनिंग टेबल पर बैठकर स्वादिष्ट एवं विभिन्न प्रकार के भोज के साथ भोजन किया।
इनका व्यवहार बहुत अच्छा था। कभी मौका मिलेगा तो हम इनके यहां पर दोबारा जरूर जाएंगे।
भोजन करने के बाद में अब समय था कि वहां से प्रस्थान किया जाए और रेलवे स्टेशन की तरफ पहुंचा जाए क्योंकि हमारी गाड़ी कुछ समय बाद स्टेशन पर लगने वाली थी।
उसके बाद में हम स्टेशन की तरफ चल दिए और कुछ देर के अंदर ही हम स्टेशन पर पहुंच चुके थे।
घर से निकलने से पहले की एक तस्वीर 
वडोदरा रेलवे स्टेशन पर ली गई एक तस्वीर
रेलवे स्टेशन बहुत ही साफ सुथरा था एवं  वेटिंग होल भी काफी अच्छा बनाया हुआ था हम लगभग 15 से 20 मिनट वेटिंग hall में रुके एवं  फिर वहां से निकलकर प्लेटफार्म की तरफ चल दिए जहां पर हमारी ट्रेन प्लेटफार्म पर लगने वाली थी।

कॉफी पीते हुए जितेंद्र कुमार एवं दीपिका 

जिस प्लेटफार्म पर ट्रेन को आना था वहां पर हम पहुंच चुके थे और हमारे पहुंचने के 5 मिनट बाद धीरे धीरे धीरे धीरे से ट्रेन आ गई जिसमें हमें बैठना था और हम अपने टिकट पर लिखे हुए डिब्बे के हिसाब से अपने कोच में चढ़ गए एवं अपनी सीट पर जाकर के बैठ गए।
रात का समय था इसलिए थोड़ी देर बातें की और खाना खाया उसके बाद में हम सो गए।

इसके बाद की पोस्ट अगले भाग में आएगी।

हमारी पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।





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