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सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

शिमला यात्रा बड़ोग से शिमला रेलवे स्टेशन

बड़ोग रेलवे स्टेशन इस ट्रैन का चौथा स्टेशन था । इससे पहले पहला स्टेशन कालका , दूसरा धर्मपुर हिमाचल  स्टेशन, तीसरा  कुमारहट्टी रेलवे स्टेशन था ,जिस पर गाड़ी रुकी थी ।  बड़ोग रेलवे स्टेशन से चलते ही ट्रैन एक गुफा में घुस गई ।
नज़ारे एकदम अच्छे थे । इसके बाद गाड़ी सोलन रेलवे स्टेशन पर रुकी वहाँ का नज़ारा भी बहुत अच्छा  था ।
सोलन से चलने के बाद ये गाड़ी सलोगड़ा रेलवे स्टेशन पर रुकी बीच-बीच के नज़ारे बहुत अच्छे थे और फिर सांप कि तरह चलती हुई ये रेलगाड़ी वाह मज़ा आ गया पुरे सफ़र में  चारो ऒर हरियाली ऊँचे-ऊँचे पहाड़, गहरी- गहरी खाई । यहाँ से चलने के बाद हमारी गाड़ी कंदाघाट रुकी । नज़ारा जब जब ओर खूबसूरत हो गया जब ये गाड़ी जतोग रेलवे स्टेशन पर रुकी यहाँ पर ये गाड़ी लगभग 15 मिनट तक रुकती है । यहाँ पर बहुत गहरी खाई थी और खाई वाली साइड में एक पहाड़ कटा हुआ दिखता है जो शिमला का हवाई अड्डा है और उस समय उन पहाड़ों पर बादल भी थे । यहाँ पर हमने कुछ फ़ोटो खींचे ओर गाड़ी में बैठकर चल दिए ।
इस  स्टेशन से हमें शिमला हवाई अड्डा दिखता है जब मैंने इस कटे पहाड़ को देखा था तो मुझे इसे देखकर लगा था कि ये शिमला का हवाई अड्डा है लेकिन थोडा संदेह भी था ,लेकिन जब मैं घर आया था तो मैंने इंटरनेट के जरिये मानचित्र पर देखा तो ज्ञात हुआ कि जो हमने देखा था वो शिमला का हवाई अड्डा ही था ।
नीचे आपको फ़ोटो मिलेंगे वहाँ पर देखना फ़ोटो की साइड में आपको एक पहाड़ कटा हुआ मिलेगा वो शिमला हवाई अड्डे कि हवाई पट्टी है । इस स्टेशन पर एक ट्रैन क्रॉस हुई थी इसलिए ये गाड़ी यहाँ पर 15 मिनट रुकी थी नहीं तो इस गाड़ी का रुकने का समय 1 मिनट था । यहाँ पर गाड़ी क्रॉस हुई और हमारी गाड़ी भी थोड़ी देर में चल दी । यहाँ से चलने के बाद फिर हमारी गाड़ी समर हिल स्टेशन पर रुकी । इस स्टेशन पर बहुत सारे लंगूर थे और गाड़ी को रुकते ही ये लंगूर गाड़ी के पास आने लगे क्योंकि गाड़ी में बैठे हुए कुछ यात्री इन लंगूरो को खाने के लिए कुछ न कुछ देते है । ये स्टेशन शिमला से पहले का था इसके बाद शिमला रेलवे स्टेशन था और इस स्टेशन के सिर्फ शिमला रेलवे स्टेशन पड़ता है । यहाँ पर ये गाड़ी लगभग 1 मिनट रुकी और चल दी ।
समर हिल से चलने के 20 मिनट बाद शिमला स्टेशन आ गया । शिमला स्टेशन भी अच्छा बना था । वहाँ पर बहुत साडी गाड़ियां खड़ी थी और एक गाड़ी तो जेन के लिए बिल्कुल तैयार ही थी शायद हमारे स्टेशन पर पहुँचने के तुरंत चली गयी होगी । ट्रैन से उतरते ही हमें ठण्ड लगाने लगी । वहाँ पर ठंडी हवा चल रही थी ।
स्टेशन के ठीक सामने गहरी खाई थी जहां पर सड़क भी थी उस सड़क पर वाहन खिलोने जैसे लग रहे थे । आगे फ़ोटो में देख लेना वाहनो को । इस स्टेशन पर हम बहुत देर रुके थे । मैं (जितेन्द्र कुमार) और हमारी बहन दीपिका कुमारी हम दोनों स्टेशन पर रुके रहे और हमारे बड़े भाई धर्मेन्द्र जी शिमला बस अड्डे पर बस का टाइम टेबल के बारे में जानकारी लेने के लिए गए । करीब 1 घंटे बाद हैम शिमला रेलवे स्टेशन से चल दिए ।
पहले हमारा प्लान था कि हम दोपहर 2:25 मिनट वाली गाड़ी से वापस कालका जाये लेकिन हमने ये प्लान रदद कर दिया और फिर हैम चल दिए अपने आरक्षित टिकट को रदद कराने के लिए आरक्षण केंद्र पर गए हमारे पास समय कम था क्योंकि गाड़ी जाने में लगभग 1 घंटा बचा था और केंद्र पर भीड़ ज्यादा थी और  लगी थी । मैं विकलांग होने के कारण बिना लाइन के खिड़की पर खड़ा हो गया और नम्बर सबसे पहले आ गया ।
टिकट रदद करने के बाद हम ऊपर गये जहां पर हमें एक बस मिली जो शिमला हवाई अड्डे पर जा रही थी ।
उस बस में भीड़ थी फिर भी हम उस बस में चढ़ गए क्योंकि जिस बस का टाइम धर्मेन्द्र जी पता करके आये  थे उस बस के जाने में समय कम था ।
जब हम शिमला नए बस अड्डे पर पहुंचे तो बस अड्डे को देखता ही रह गया बस अड्डा ऐसा बना था मानो कि ये कोई बस अड्डा नहीं लग रहा था बिलकुल एक बड़े आदमी के घर के जैसे लग रहा था । ऐसा बस अड्डा मैंने पहले कभी नहीं देखा था । बस अड्डे पर कांच के शीशे लगे थे जैसे किसी शोरूम में लगे होते है और तीसरी मंजिल पर बस  खड़ी थी । बस अड्डे पर ऊपर जाने के लिए लिफ्ट लगी थी । हमें शिमला से काँगड़ा के लिए जाना था हमने बस अड्डे पर पहुंचकर अपना टिकट बनवाया और हमें उस गाड़ी में सीट मिल गयी । जिस बस में हम बैठे थे वो बस हमे तीसरी मंजिल पर मिली थी । फिर हमने बस अड्डे पर ही एक एक ब्रेड पकोड़े तथा एक एक समोसे खाये थे । फिर वो बस  दी । शिमला से काँगड़ा पहुँचने में हमें लगभग 7 - 8 घंटे लगे ।
                                                                       




पहाड़ो पर बसापत तथा सुन्दर नज़ारा 




जितेन्द्र कुमार जी छोटी लाइन की रेल में 




जितेन्द्र कुमार जी और हमारी बहन दीपिका ट्रैन के डिब्बे में 




जितेन्द्र कुमार जी 




ये सुन्दर नज़ारा 





जतोग रेलवे स्टेशन 





जतोग रेलवे स्टेशन पर दीपिका कुमारी 






दीपिका कुमारी जी 




जितेन्द्र कुमार जी फ़ोन से फ़ोटो खींचते हुए 





धर्मेन्द्र जी , पीछे पहाड़ से नीचे जो सीधी लाइन दिख रही है वह हवाई पट्टी है । 
ये शिमला के हवाई अड्डे कि पट्टी है । 




धर्मेन्द्र जी , पीछे पहाड़ से नीचे जो सीधी लाइन दिख रही है वह हवाई पट्टी है । 
ये शिमला के हवाई अड्डे कि पट्टी है । नज़ारा बहुत अच्छा था । 




धर्मेन्द्र जी 










जितेन्द्र कुमार जी 




दीपिका कुमारी जी  , पीछे पहाड़ से नीचे जो सीधी लाइन दिख रही है वह हवाई पट्टी है । 
ये शिमला के हवाई अड्डे कि पट्टी है । 






दीपिका कुमारी जी  , पीछे पहाड़ से नीचे जो सीधी लाइन दिख रही है वह हवाई पट्टी है । 
ये शिमला के हवाई अड्डे कि पट्टी है । नज़दीक से लिया गया फ़ोटो । 




समर हिल रेलवे स्टेशन , पेड़ो पर बैठे लंगूर 




समर हिल रेलवे स्टेशन पर लंगूर यहाँ पर बहुत सारे लंगूर थे ।  





लंगूर 





लंगूर 





शिमला रेलवे स्टेशन के सामने का नज़ारा 





गाड़ी बहुत छोटी लग रही है । 





शिमला रेलवे स्टेशन से लिया गया फ़ोटो 




ये गहरी खाई 





शिमला रेलवे स्टेशन फ़ोटो ऊपर से लिया गया है । 





शिमला रेलवे स्टेशन 





शिमला रेलवे स्टेशन , इस पर रेल के इंजन को खड़ा करके उसे घुमा देते है 






शिमला रेलवे स्टेशन , इस पर रेल के इंजन को खड़ा करके उसे घुमा देते है 




शिमला रेलवे स्टेशन का नज़ारा 





ऊपर चढने का रास्ता  यही से हमें शिमला नए बस अड्डे जाने के लिए बस मिली थी । 

( शिमला यात्रा समाप्त ) 
( धन्यवाद )

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