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रविवार, 15 सितंबर 2013

शिमला यात्रा कालका से बड़ोग रेलवे स्टेशन

देश का सर्वाधिक खूबसूरत हिल स्टेशन


शिमला समुद्र तल से 6890 फीट ऊंचा, देश का सर्वाधिक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो कि 12 किमी लम्बाई में फैला हैं। देश की आजादी के एक वर्ष बाद तक यह ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में अपनी महत्ता सिद्ध करता रहा। न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दूनिया में अपने अनुपम सौंदर्य के कारण यह सैलानियों का प्रिय दर्शनीय स्थल है।
शिमला हिमाचल प्रदेश प्रान्त की राजधानी है। 1864 में शिमला को अंग्रेजों की राजधानी बनाया गया था। शिमला एक पर्यटक स्थल के रूप में भी मशहूर है। शिमला की खोज अंग्रेजों ने सन 1819 में की। चार्ल्स कैनेडी ने यहाँ पहला ग्रीष्‍मकालीन घर बनाया। जल्दी ही शिमला लॉर्ड विलियम बेन्टिन्क की नज़रों में आ गया, जो कि 1828से 1835 तक भारत के गवर्नर जनरल थे।
यद्यपि ब्रिटिश साम्राज्य समाप्त हो चुका है, इसकी छाप अभी शिमला में दिखाई पड़ती है। भारत में ब्रिटिशों की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहा यह शहर, पहले से ही आकर्षण का केंद्र रहा है, अब हिमाचल प्रदेश राज्य की राजधानी के रूप में शिमला में सभी सुविधाएं मौजूद हैं, यहां पहुंचने की आसानी और अनेक आकर्षक स्थलों के कारण यह भारत का सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन है।  हिमालय पर्वत की निचली श्रृंखलाओं में अवस्थित, यह शहर देवदार, चीड़ और माजू के जंगलों से घिरा है। इसके उत्तर में बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं हैं, जबकि इसकी घाटियों में बहते झरने और मैदान यहां की शोभा बढ़ाते हैं।  शहर के भीतर अनूठे कॉटेज और शानदार रास्तों में औपनिवेशिक प्रभाव देखा जा सकता है। शिमला में खरीदारी, खेलकूद और मनोरंजन के विभिन्न विकल्प मौजूद हैं।
हिमालय के उत्तर-पश्चिम में स्थित, शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। रिज के साथ ही 12 कि.मी. की दूरी में फैले शहर में पहाड़ी ढलानों पर बने मकानों और खेतों, देवदार, चीड़ और माजू केजंगलों से घिरा शिमला बहुत आकर्षक दिखाई देता है। कालका से धीमी रफ्तार से चलती छोटी रेलगाड़ी से यहां आना सुखद महसूस होता है। शिमला, रोमांचक खेलों जैसे, स्कीइंग, ट्रेकिंग, फिशिंग और गोल्फ के लिए एक सुविधाजनक बेस का काम भी करता है।
क्‍या देखें
पहाडी : शहर के मध्य में एक बड़ा और खुला स्थान, जहां से पर्वत श्रंखलाओं का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। यहां शिमला की पहचान बन चुका न्यू-गॉथिक वास्तुकला का उदाहरण क्राइस्ट चर्च और न्यू-ट्यूडर पुस्तकालय का भवन दर्शनीय है।
मॉल : शिमला का मुख्य शॉपिंग सेंटर, जहां रेस्तरां भी हैं। गेयटी थियेटर, जो पुराने ब्रिटिश थियेटर का ही रूप है, अब सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है। कार्ट रोड से मॉल के लिए हि.प्र.प.वि.नि. की लिफ्ट से भी जाया जा सकता है। रिज के समीप स्थित लक्कड़ बाजार, लकड़ी से बनी वस्तुओं और स्मृति-चिह्नों के लिए प्रसिद्ध है।
काली बाड़ी मंदिर : यह मंदिर स्कैंडल प्वाइंट से जनरल पोस्ट ऑफिस से की ओर कुछ गज की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि यहां श्यामला देवी की मूर्ति स्थापित है।
जाखू मंदिर (2.5 कि.मी.) 2455 मी. : शिमला की सबसे ऊंची चोटी से शहर का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। यहां "भगवान हनुमान" का प्राचीन मंदिर है। रिज पर बने चर्च के पास से पैदल मार्ग के अलावा मंदिर तक जाने के लिए पोनी या टैक्सी द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।
राज्य संग्रहालय (3 कि.मी.): यहां हिमाचल प्रदेश की प्राचीन ऐतिहासिक वास्तुकला और पेंटिंग्स देखे जा सकते हैं। यह संग्रहालय प्रात: 10 बजे से सायं 5 बजे तक खुलता है तथा सोमवार और राजपत्रित अवकाशों में यह बंद रखा जाता है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज़ (4 कि.मी.) 1983 मी. : अंग्रेजी पुनर्जागरण काल में बना यह शानदार भवन पूर्व वायसराय का आवास हुआ करता था। इसके लॉन और पेड़ यहां की शोभा और बढ़ा देते हैं। प्रवेश टिकट द्वारा।
प्रोस्पेक्ट हिल (5 कि.मी.) 2155 मी. : कामना देवी मंदिर को समर्पित यह हिल शिमला-बिलासपुर मार्ग पर बायलुगंज से 15 मिनट की पैदल दूरी पर है। हिल से  इस क्षेत्र का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
समर हिल (7 कि.मी.) 1983 मी. : शिमला-कालका रेलमार्ग पर एक सुंदर स्थान है। यहां के शांत वातावरण में पेड़ों से घिरे रास्ते हैं। अपनी शिमला यात्रा के दौरान राष्ट्पिता महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के शानदार जार्जियन हाउस में रुके थे। यहां हिमाचल प्रदेश विश्वद्यालय है।
चाडविक फाल्स् (7 कि.मी.) 1586 मी. : घने जंगलों से घिरा यह स्थान समर हिल चौक से लगभग 45 मिनट की पैदल दूरी पर है।
संकट मोचन (7 कि.मी.) 1975 मी. : शिमला-कालका सड़क मार्ग पर (रा.राज.-22) पर "भगवान हनुमान" का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां से शिमला शहर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। यहां बस/टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है।
तारादेवी (11 कि.मी.) 1851 मी. : शिमला-कालका सड़क मार्ग पर (रा.राज.-22) पर यह पवित्र स्थान के लिए रेल, बस और कार सेवा उपलब्ध है। स्टेशन/सड़क से पैदल अथवा जीप/टैक्सी द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है।
फागु (22 कि.मी.) 2450 मी. : हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग पर स्थित यह सुंदर दृश्यावली वाला स्थान है। यहां हिमाचल पर्यटन का होटल पीच-ब्लोसम है।
नारकंडा (60 कि.मी.) 2708 मी. :हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग पर स्थित नारकंडा से बर्फ से ढकी पर्वत-श्रंखला केसुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। देवदार के जंगलों से घिरा ऊपर की ओर जाता मार्ग हाटु चोटी (8 कि.मी.) तक जाता है। हाटु माता का प्राचीन मंदिर पर स्कीइंग करने वालों की भीड़ रहती है।  यहां हि.प्र.प.वि.नि. का होटल हाटु है और सर्दियों में यहां शार्ट स्कीइंग कोर्स आयोजित किए जाते हैं।
कोटगढ़ (82 कि.मी.) 1830 मी. :नारकंडा से होकर (18 कि.मी.) जाने वाला सड़क मार्ग, सेव और खुबानी की भूमि तक जाता है।
रामपुर (140 कि.मी.) 924 मी. : हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग पर कभी बुशाहर की शाही राजधानी रहा यह शहर सतलुज नदी के किनारे स्थित है। यह एक बड़ा वाणिज्यिक केंद्र है, जो प्रति वर्ष नवंबर में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्ीय लावी मेले के लिए प्रसिद्ध है। यहां डुमगीर बौद्ध मंदिर, पद्म पैलेस, रघुनाथ मंदिर, अयोध्या मंदिर और नरसिंह मंदिर दर्शनीय हैं। यहां हिमाचल पर्यटन का एक टूरिस्ट कॉम्पलेक्स और सतलुज नामक वातानुकू लित कैफे है।
साराहन (176 कि.मी.) 1950 मी. : जजियोरी सहारन से (17 कि.मी.) जाने वाले हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग पर श्रीखंड श्रंखला के सुंदर दृश्यों वाले साराहन में एक शानदार भीमकाली मंदिर है। यहां हिमाचल पर्यटन का होटल श्रीखंड है। किन्नौर के लिए साहारन से होकर जाना पड़ता है।  यहां शांत ब्रीडिंग सेंटर और स्टेडियम दर्शनीय हैं।
खारापत्थर (85 कि.मी.) 2673 मी. : शिमला-रोहरु मार्ग पर मोटर-योग्य सड़क पर स्थित है खारापत्थर। यहां से 7 कि.मी. स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्रीगंगा तक पैदल या जीप द्वारा पहुंचा जा सकता है। यहां हि.प्र.प.वि.नि. का टूरिस्ट कांप्लेक्स गिरीगंगा रिजार्ट निर्माणाधीन है।
जब्बल (90 कि.मी.) 1892 मी. : तत्कालीन शाही स्टेट का मुख्यालय रहा जब्बल, में एक शानदार महल है, जिसका डिजाइन 1930 में एक फ्रांसीसी वास्तुविद ने तैयार किया था। यह यूरोपीयऔर भारतीय शैली का शानदार मिश्रित उदाहरण है।
हटकोटी (104 कि.मी.) 1400 मी. : यह स्थान शिमला-रोहरु मार्ग पर मोटर-योग्य सड़क पर पब्बर नदी के दाहिने किनारे पर धान के खेतों के बीच माता हटेश्वरी के प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर के लिए जाना जाता है। यहां हि.प्र.प.वि.नि. का होटल पब्बर है।
मशोबरा (12 कि.मी.) 2148 मी. : शिमला-नालदेहरा मार्ग पर मोटर-योग्य सड़क पर स्थित है मशोबरा। घने जंगलों से घिरा यह स्थान पर घूमा जा सकता है। यहां का माता दुर्गा मंदिर दर्शनीय है।
क्रेगनानो (18 कि.मी.) 2149 मी. : शिमला-नालदेहरा मार्ग पर मोटर-योग्य सड़क पर स्थित यह स्थान सुंदर लॉन और बागीचों वाला एक आदर्श पिकनिक स्पॉट है।
नालदेहरा (22 कि.मी.) 2044 मी. : शिमला-टट्टापानी मार्ग पर मोटर-योग्य सड़क पर स्थित यहां नौ-छिद्रों वाला गोल्फ कोर्स है। इसका डिजाइन  ब्रिटिश वायसराय, लॉर्ड कर्जन ने तैयार किया था, जो इस स्थान से इतना प्रभावित था कि उसने अपनी बेटी अलेक्जेंडरा का दूसरा नाम नालदेहरा रख दिया था। यहां एक प्राचीन नाग मंदिर भी है। यहां हि.प्र.प.वि.नि. का होटल गोल्फ ग्लेड है।
टट्टापानी (65 कि.मी.) 680 मी. : शिमला-मनाली मार्ग पर बरास्ता नालदेहरा मोटर-योग्य सड़क पर स्थित टट्टापानी में गर्म पानी के झरने हैं, जिनका पानी सल्फर-मिश्रित है। यहां हिंदु मंदिर और साराउर (4 कि.मी.) स्थित शिव गुफा दर्शनीय है।
चिंदी  (94 कि.मी.) 2010 मी. : शिमला-मनाली मार्ग पर बरास्ता टट्टापानी मोटर-योग्य सड़क पर स्थित चिंदी - कर्सोग घाटी में एक सुंदर स्थान है। यहां हिमाचल पर्यटन का टूरिस्ट रिजार्ट शीघ्र खुलने वाला है। यहां से महुनाग मंदिर (18 कि.मी.), मामलेश्वर महादेव मंदिर (13 कि.मी.) कामाक्षा देवी मंदिर (19 कि.मी.), पंगना किला/मंदिर (8 कि.मी.) और शिकारी देवी मंदिर (18 कि.मी.).
जब हमारी गाड़ी कालका से चली तो हमारे दोनों तरफ पहाड़ थे। ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी । हमें भी ठण्ड महसूस हो रही थी । चारो तरफ हरियाली ही हरियाली थी जिनकी वजह से वहाँ का वातावरण बिलकुल स्वच्छ था । गाड़ी बार-बार मुड रही थी ऐसे समझो जैसे सांप चलता है ठीक वैसे ही यह गाड़ी चलती है ।
ये रेल छोटी होती है और इसमें एक सीट पर दो आदमी बैठते है ओर इसकी पटरी भी चोडाई में छोटी होती है ।
इस रूट पर कई गुफा पड़ती है । जब इन गुफाओ में गाड़ी चलती है तो बहुत आनंद आता है, गुफा में घुसते ही अँधेरा हो जाता है । किसी - किसी गुफा में तो लाइट जलती रहती है । हम शिमला पहली बार गए थे तो हमें तो बहुत आनंद आ था। एक तरफ तो पहाड़ और दूसरी तरफ गहरी खाई थी । मौसम भी बहुत सुहाना था , वह पर गर्मियों में भी ठंडी हवाए चल रही थी ।
जब गाड़ी मुड़ती थी तो उसे देखने में बहुत आनंद आता है । पहाड़ो पर बसापत भी बहुत बढ़िया लग रही थी , एक घर ऊपर और एक घर नीचे  देखने में बहुत अच्छे लग रहे थे ।
एक बार तो हमें दूर से बहुत सारे बादल पहाड़ो से भी नीचे दिख रहे थे और उन बदलो को देखने के लिए सारे यात्री एक तरफ ही हो गए और उन बदलो के फोटो खींचने लगे । वो बादल पहाड़ो से नीचे थे , उन्हें देखकर हमने भी उन बादलो के फोटो खींचे , ये एक बहुत ही सूंदर नज़ारा था। 
आगे चलकर हम भी इन बादलो में घुस गए । ऐसा समझो जैसे हमारे यहाँ पर सर्दियों में धुंध छा जाती है ठीक ऐसे ही उन बादलो में घुसाने के बाद लग रहा था ।
आपको बता दूँ कि यहाँ जाकर मन बहुत खुश हुआ हमारा । इन बादलो से निकलकर हम पहुँच गए बड़ोग रेलवे स्टेशन पर वहाँ पर गाड़ी लगभग  15 मिनट तक रुकी । वहीँ पर हमने आलू की टिक्की खाई थी बहुत स्वाद बनी थी ।
वहाँ पर हमने कुछ फोटो भी खींचे थे









गुफा से बाहर निकलती रेल 





गुफा के अंदर चलती रेल 








तेज गति से मुड़ती हुई रेल
क्या शानदार नज़ारा है 








ये हरियाली चारो तरफ फैली है 







छोटी लाइन की पटरियां और हरियाली 







ये है छोटी लाइन की ट्रेन 
क्या शानदार नज़ारा है। फोटो धर्मेन्द्र जी ने खींचा है । 







तेज़ चलती गाड़ी से खींचा गया फोटो  








पहाड़ों पर मकान  






रेल में बैठा जितेन्द्र कुमार 





दीपिका कुमारी
इसके पीछे पहाड़ों से भी नीचे बादल नज़र आ रहे है । 








दीपिका कुमारी
इसके पीछे पहाड़ों से भी नीचे बादल नज़र आ रहे है 







सामने सड़क है जहाँ पर एक आदमी खड़ा है पुल के ऊपर । 







सामने सड़क है और उसका पुल 











रेल में बैठा जितेन्द्र कुमार 








धर्मेन्द्र जी और जितेन्द्र कुमार 
फोटो दीपिका कुमारी ने खींचा है । 








जितेन्द्र कुमार और हमारी छोटी बहन दीपिका कुमारी 







इससे  पर रेल के इंजन के मुंह को बदला जाता है  








इस पर रेल के इंजन के मुंह को बदला जाता है 
इंजन को रखकर इसे घुमा देते है 



बादलों में घुसकर एक फोटो। ये वो बादल है जो हमें दूर से दिख रहे थे । 






बड़ोग रेलवे स्टेशन, सामने एक गुफा है जो सबसे लम्बी गुफा है 


बड़ोग रेलवे स्टेशन, सामने एक गुफा है जो सबसे लम्बी गुफा है 
सुरंग नम्बर 33 


बड़ोग रेलवे स्टेशन, यात्री फोटो खींच रहे है । 




बड़ोग रेलवे स्टेशन 


बड़ोग रेलवे स्टेशन , यहाँ पर ठहरने की सुविधा है ।     



अगले भाग में जारी……


1. शिमला यात्रा दिल्ली से कालका
2. शिमला यात्रा कालका से बड़ोग रेलवे स्टेशन





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