मनाली यात्रा
दीपिका और जितेन्द्र कुमार जी ,पठानकोट रेलवे स्टेशन (पंजाब) पर नोटिस बोर्ड जरूर पढ़ना
मनाली
करें प्रकृति का साक्षात दर्शन
मनाली कुल्लु घाटी के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा है। गर्मियों से निजात पाने के लिए इस हिल स्टेशन पर हजारों की तादाद में सैलानी आते हैं। सर्दियों में यहां का तापमान शून्य डिग्री से नीचे पहुंच जाता है। आप यहां के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के अलावा मनाली में हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायकिंग जैसे खेलों का भी आनंद उठा सकते है। यहां के जंगली फूलों और सेब के बगीचों से छनकर आती सुंगंधित हवाएं दिलो दिमाग को ताजगी से भर देती हैं।पौराणिक ग्रंथों में मनाली को मनु का घर कहा गया है। कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु की जीवित बचे थे। मनाली में आकर ही उन्होनें मनुष्य की पुर्नरचना की। इसलिए मनाली को हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है।
क्या देखें
हिडिम्बा मंदिर- समुद्र तल से 1533 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर धूंगरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर यहां की स्थानीय देवी हिडिम्बा को समर्पित है। हिडिम्बा महाभारत में वर्णित भीम की पत्नी थी। मई के महीने में यहां एक उत्सव मनाया जाता है। महाराज बहादुर सिंह ने यह मंदिर 1553 ई. में बनवाया था। लकड़ी से निर्मित यह मंदिर पैगोड़ा शैली में बना है।
वशिष्ठ- मनाली से 3 किमी. दूर वशिष्ठ स्थित है। प्राचीन पत्थरों से बने मंदिरों का यह जोड़ा एक दूसरे के विपरीत दिशा में है। एक मंदिर भगवान राम को और दूसरा संत वशिष्ठ को समर्पित है।
मणिकरण - समुद्र तल से 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मणिकरण गर्म पानी का झरना है। कहा जाता है शिव की पत्नी पार्वती के कर्णफूल यहां खो गए थे। उसके बाद से इस झरने का जल गर्म हो गया। हजारों लोग यहां के जल में पवित्र डुबकी लगाने दूर-दूर से आते हैं। यहां का पानी इतना गर्म है कि इसमें चावल, दाल और सब्जियों को उबाला जा सकता है।
बौद्ध मठ- मनाली के बौद्ध मठ बहुत लोकप्रिय हैं। कुल्लू घाटी के सर्वाधिक बौद्ध शरणार्थी यहां बसे हुए हैं। यहां का गोधन थेकचोकलिंग मठ काफी प्रसिद्ध है। 1969 में इस मठ को तिब्बती शरणार्थियों ने बनवाया था।
रोहतांग दर्रा- मनाली से 50 किमी. दूर समुद्र तल से 4111 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा साहसिक पर्यटकों को बहुत रास आता है। दर्रे के पश्चिम में दसोहर नामक एक खूबसूरत झील है। गर्मियों के दिनों मे भी यह स्थान काफी ठंडा रहता है। जून से नवंबर के बीच लाहौल घाटी से यहां पहुंचा जा सकता है। यहां से कुछ दूरी पर सोनपानी ग्लेशियर है।
व्यास कुंड- यह कुंड पवित्र व्यास नदी का जल स्रोत है। व्यास नदी में झरने के समान यहां से पानी बहता है। यहां का पानी एकदम साफ और इतना ठंडा होता है कि उंगलियों को सुन्न कर देता है। इसके चारों ओर पत्थर ही पत्थर हैं और वनस्पतियां बहुत कम हैं।
ओल्ड मनाली- मनाली से 3 किमी. उत्तर पश्चिम में ओल्ड मनाली है जो बगीचों और प्राचीन गेस्टहाउसों के लिए काफी प्रसिद्ध है। मनालीगढ़ नामक क्षतिग्रस्त किला भी यहां देखा जा सकता है।
सोलंग नुल्लाह- मनाली से 13 किमी की दूरी पर स्थित सोलंग नुल्लाह 300 मीटर की स्की लिफ्ट के लिए लोकप्रिय है। इस खूबसूरत स्थान से ग्लेशियर और बर्फ से ढकी पहाड़ों की चोटियों के मनोहर नजारे देखे जा सकते हैं। नजदीक ही मनाली की प्रारंभिक राजधानी जगतसुख भी देखने योग्य जगह है।
मनु मंदिर- ओल्ड मनाली में स्थित मनु मंदिर महर्षि मनु को समर्पित है। यहां आकर उन्होंने ध्यान लगाया था। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग दुरूह और रपटीला है।
अर्जुन गुफा- कहा जाता है महाभारत के अर्जुन ने यहां तपस्या की थी। इसी स्थान पर इन्द्रदेव ने उन्हें पशुपति अस्त्र प्रदान किया था।
कैसे जाएं
वायुमार्ग- मनाली से 50 किमी. की दूरी पर भुंटार नजदीकी एयरपोर्ट है। मनाली पहुंचने के लिए यहां से बस या टैक्सी की सेवाएं ली सकती हैं।
रेलमार्ग- जोगिन्दर नगर नैरो गैज रेलवे स्टेशन मनाली का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो मनाली से 135 किमी. की दूरी पर है। मनाली से 310 किमी. दूर चंडीगढ़ नजदीकी ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग- मनाली हिमाचल और आसपास के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं।
खरीददारी
मनाली से हस्तशिल्प का सामान और कारपेट की खरीददारी सैलानी अक्सर करते हैं। मनाली के ऊन के शॉल भी काफी लोकप्रिय हैं। इन शॉलों को कशीदाकारी से सजाया जाता है। द मॉल और न्यू शापिंग सेंटर से खरीददारी सबसे अच्छा विकल्प है। यहां मिलने वाली कुल्लू टोपियों भी बहुत पसंद की जाती हैं। मनाली के बाजारों में तिब्बती हस्तशिल्प का सामान बड़ी मात्रा में मिलता है। घर की सजावट, उपहार और स्मारिकाओं की निशानी के तौर पर इन्हें खरीदा जा सकता है।
पर्यटन कार्यालय
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम
माल रोड़, मनाली
दूरभाष- 01902-252175, 253531
हिमाचल प्रदेश प्रदेश पर्यटन विकास निगम
चन्द्रलोक बिल्डिंग, 36 जनपथ
नई दिल्ली
दूरभाष- 011-23325320
फैक्स- 23731072
वेबसाइट- www.hptdc.nic.in
जितेन्द्र कुमार जी , पठानकोट रेलवे स्टेशन (पंजाब) पर
दीपिका , पठानकोट रेलवे स्टेशन (पंजाब) पर
नोटिस बोर्ड जरूर पढ़ना
दीपिका और जितेन्द्र कुमार जी ,पठानकोट रेलवे स्टेशन (पंजाब) पर
अब हमारा विवरण
हमने रोहतांग जाने से एक दिन पहले ही रात को ही होटल वाले से एक गाड़ी बुक करा ली थी । अगले दिन हम तीनो सुबह जल्दी उठे ओर नहा कर
rS;kj
Hkh gks x;sA djhc 7 cts xkMh okyk gksVy ij vk x;k vkSj yxHkx 7%30 cts ge gksVy
ls jksgrkaWx ds fy, fudy iMs । रास्ता बहुत अच्छा था हम व्यास नदी के किनारे से होते हुए जा रहे थे रास्ते में हमने वो जगह भी देखी थी जहां पर कृष फ़िल्म कि शूटिंग हुयी थी और वो पेड़ जिन पर प्रियंका चोपड़ा पैराग्लाइडिंग करते समय गिर जाती है वो भी देखे और देखकर बहुत खुश हुए क्योंकि इससे पहले हमने कभी फिल्मो कि शूटिंग वाली जगह नहीं देखी थी। रास्ते घुमावदार थे। आगे चलकर ड्राईवर ने गाड़ी रोक दी और ड्राईवर साहब कहने लगे कि मैं खाना खाकर अभी आ रहा हूँ आपको भी खाना है तो खा लीजिये ऊपर खाना नहीं मिलेगा। हमने कहा कि खा लीजिये। ड्राईवर के जेन के बाद हमने नियोजन कि क्या किया जाये फिर तैय हुआ कि पहले खाने का रेट पता कर ले फिर निर्णय लिया जायेगा और फिर हमारे भाई जी खाने का रेट पता करने गए तो पता चला कि खाने का रेट बहुत महंगा है फिर हमने खाना नहीं लिया फिर हमने वहाँ पर कुछ फ़ोटो भी खींचे जो नीचे है । हमारे पास कैमरा और सैमसंग का 5 MP का मोबाईल फ़ोन था ।
होटल वाली गली से लिया गया एक फोटो
रोहतांग पास जाने वाला रास्ता
फोटो गाड़ी के अंदर से ही ले रहा हूं
रस्ते में एक प्रट्रोल पम्प का नज़ारा
प्रट्रोल पम्प का कर्मचारी
हमें सामने वाले पहाड़ों पर जाना है शायद जो बर्फ से ढके है
देखो ये पहाड़
मनाली से चलने के बाद , यहाँ पर ड्राईवर ने खाना खाया था
पीछे जो पहाड़ है वो सोलन वैली कि तरफ है
यही वो सड़क है जो रोहतांग जाती है
जितेन्द्र कुमार और हमारी बहन दीपिका
शानदार नज़ारा
बर्फ से ढके पहाड़ वाह मनो जन्नत हो यहाँ
शायद किसी गाड़ी के ड्राइवर है
रोहतांग जाने वाली सड़क
यहाँ पर ड्राइवर साहब जी खाना खाने के लिए रुके थे तो हमने सोचा की कुछ फोटो ही हो जाये ।
दीपिका जी
पीछे ओर भी टूरिस्ट है जो रोहतांग जा रहे है
जितेन्द्र कुमार और हमारी बहन दीपिका
जितेन्द्र कुमार और हमारी बहन दीपिका
शायद किसी की दुकान है ये
धर्मेन्द्र जी और दीपिका जी
हमारी छोटी बहन दीपिका जी
ये फसल अभी कच्ची है और हमारे यहाँ पर ये कट चुकी है
ये गेहूं या जौं है
धर्मेन्द्र जी और दीपिका जी , एक्शन कैसा लगा ।
धर्मेन्द्र जी ड्राइविंग करते हुए
धर्मेन्द्र जी और दीपिका जी हम इसी गाड़ी में मढ़ी तक गए थे
धर्मेन्द्र जी और दीपिका जी हम इसी गाड़ी में मढ़ी तक गए थे
इन पहाड़ो पर हमेशा बर्फ जमी रहती है
दीपिका जी ड्राइविंग करते हुए
दीपिका जी ड्राइविंग करते हुए
दीपिका जी ड्राइविंग करते हुए पास में जितेन्द्र कुमार भी है
जितेन्द्र कुमार और दीपिका दोनों हाथ मिलाते हुए
अब मेरी बारी है फोटो खिंचाने की
पीछे के पहाड़ सोलांग वैली की तरफ है
जितेंद्र कुमार जी
धूप लग रही है
ड्राईवर साहब जी खाना खाकर आये और फिर हम चल दिए रोहतांग कि ओर, रास्ते में बहुत हरियाली थी और लम्बे - लम्बे चीड़ के पेड़ थे , ऊँचे निचे रास्ते थे और गाड़ी बार बार मुड़ रही थी क्योंकि पहाड़ों में मोड़ बहुत होते है गाड़ी लगातार ऊंचाई पर चढ़ रही थी । रास्ते में एक झरना भी देखा था जो बहुत पतला दिख रहा था और वह बहुत ऊंचाई से गिर रहा था ऐसे झरने मैंने पहले टी वी पर या किसी पेपर पर ही देखे थे वहाँ पर हमने सचमुच देख लिया ।
रोहतांग जाने का रास्ता शानदार नज़ारा है
फ़ोटो फ़ोन का है
गहरी खाई
टेढ़े मेढ़े रास्ते
बर्फ पर कलाकारी करते हुए
ये है पहाड़ से देखने पर गहरी खाई
सामने के रास्ते को देखो कितना खतरनाक है
क्या नज़ारा है
रास्ते कितने छोटे दिख रहे है पहाड़ो से देखने पर
मढ़ी पहुँचने वाले है अब
छोटा सा झरना
\जितेन्द्र कुमार जी हाथ में बर्फ का गोला लिए हुए
जितेन्द्र कुमार , दीपिका को बर्फ का गोला देते हुए
जितेन्द्र कुमार , दीपिका को बर्फ का गोला देते हुए
शेष दूसरे भाग में
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें