हम जिन सफ़ेद पहाड़ों को दूर से देख रहे थे वो अब नजदीक आते जा रहे थे और हवा भी अपना रुख बदल चुकी थी यानी कि हवा काफी ठंडी लग रही थी |
रास्ते बहुत खतरनाक थे लेकिन यहां के ड्राइवर भी किसी से कम नहीं है क्योंकि उनका तो रोजाना का काम है यहां पर गाड़ी चलने का, और एक बात और बता दूँ आपको की यहाँ पर सभी गाड़ियां नियम से चलाई जाती है कोई भी इन नियमो का उलंघन करे तो ड्राइवर पर 4-5 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है | इसलिए साडी गाड़ियां एक लाइन में चलती है |एक तरफ पहाड़ तो दूसरी तरफ खाई जब हम इन रास्तो पर चलते हैं तो ऐसा लगता हैं कि हम सपने में आसमान में उड़ रहे हो |
अब हम बर्फ के बिल्कुल पास थे | ड्राइवर ने हमें कुछ दूर पहले ही उतार दिया था और उसने हमें बताया कि गाड़ी आगे नहीं जा सकती है क्योंकि आगे गाड़ी खड़ी करने के लिए जगह नहीं है तो पुलिस वालो ने गाड़ी को आगे ले जाने के लिए मना कर रखा है |
अब हम गाड़ी से उतरकर पैदल ही आगे की तरफ चल दिए, कुछ दूर चलते ही हमारे दोनों तरफ बर्फ की दीवार खड़ी थी और हम तीनो उनके बीच से चल रहे थे | हम बर्फ को हाथ से खुरचकर एक दूसरे के ऊपर फेंक रहे थे और मस्ती कर रहे थे | हमने एक बर्फ का गोला भी बनाया था और उसके साथ कुछ फोटो भी खींचे |
फिर हमने बर्फ की दीवार पर अपनी टीम का नाम भी लिखा था जिसका फोटो निचे है |
बर्फ पर लिखा हमारी टीम का नाम
ये है व्यास नदी का पानी मढ़ी के पास में
यात्री
अब हम आगे की तरफ बढ़ते जा रहे थे और अब हम बर्फ के ऊपर चलने के लिए तैयार थे | बर्फ फिसलन भरी होती है उस पर संभल कर चलना होता है हमें ये भी पता नहीं होता की हम कब फिसल जाये तो हम भी संभल कर बर्फ पर चल रहे थे |
इस जगह पर हम पहले भी आ चुके थे लेकिन तब हमारे पास कैमरा नहीं था लेकिन अब हमारे पास एक कैमरा और सैमसंग का फ़ोन भी साथ है तो अब किस बात की चिंता फिर हमने अपनी यादों को इस कैमरे में कैद कर लिया |
हम जहां खड़े थे उस जगह पर बर्फ की ढलान पानी के तालाब की तरफ थी और एक बात भी मैं आपको बता दूँ कि तालाब के किनारे एक लड़की अपना फोटो खिंचवा रही थी तो, अचानक उसका पैर फिसल गया और वो उस तालाब के ठण्डे पानी में गिर गयी | वो तो शुक्र है कि उसके साथ वाली औरत ने उसे तुरंत पानी से बाहर निकल लिया वरना उसकी हालत ओर भी ज्यादा ख़राब हो जाती क्योंकि वहाँ पर पहले से ही ठण्ड काफी रहती है और वो पानी में भी गिर गयी थी |
पानी में ज्यादा देर रहती तो उसे ह्य्पोथर्मिया हो सकता था लेकिन हमें नहीं पता कि उसे ले जाने के बाद क्या हुआ |
तो इस घटना को देखते हुए हम तो उस पानी के किनारे से दूर ही रहे और अपनी मस्ती में चूर हो गए और बहुत अच्छे अच्छे फोटो भी खींचे जो आपके सामने है |
हमने यहाँ पर भी बर्फ के गोले बनाये और फोटो भी खींचे जो निचे है ।
दीपिका जी हाथ में बर्फ का गोला लिए हुए
धर्मेन्द्र जी ने भी बर्फ का गोला बनाकर दिखाया हमें
बर्फ पर की जाती है कलाकारी
हमने यहाँ पर देखा की कुछ आदमी बर्फ को खोदकर उसका ढेर लगा रहे है तो हम उसे देखते ही रहे और देखते ही देखते उन्होंने बर्फ को सजा दिया और उस पर कुछ लिख भी दिया ।
उस पर लिखा WELCOME TO ROHATANG और उस दिन की तारीख भी लिखी थी जिसे हमने अपने कैमरे में कैद कर लिया जिसका फोटो आपने ऊपर देखा है ।
फोटो खींचते हुए धर्मेन्द्र जी
देखो बर्फ पर कलाकारी कर रहा है ये युवक
दीपिका और जितेंद्र कुमार जी
इन पर बैठाकर घुमाते है बर्फ पर
बर्फ पर मस्ती करते हुए टूरिस्ट
ये देखो मढ़ी का नज़ारा
दीपिका जी
स्कीइंग करते हुए
जितेंद्र कुमार जी और दीपिका जी बर्फ पर खड़े हुए
खाने का भी बन्दोबस है यहां पर लेकिन महंगा बहुत है
एक फोटो हो जाये
दिनांक देख लो बर्फ पर इस दिन आये थे हम मढ़ी में
रोहतांग पास यहां से 15 किमी दूर है
वाह
फिर मैंने (जितेंद्र कुमार) ने एक बड़ा सा बर्फ का टुकड़ा पड़ा देखा और उस बर्फ के टुकड़े को हाथ में उठा लिया और मस्ती करने लगा । बर्फ का टुकड़ा बहुत ठंडा लग रहा था और हाथ भी ज़माने लगे थे मेरे फिर भी मैंने हिम्मत करके २-४ फोटो खिंचवा लिए जो निचे हैं ।
जितेंद्र कुमार जी अब बर्फ के साथ खेला जाये
हाथ जम गए थे मेरे
कुदरती बर्फ को हाथ में लेने का मज़ा ही कुछ ओर है
कुछ फोटो हो जाये अब
अब हम सड़क पार करके दूसरी तरफ आ गए कि देखे यहाँ क्या है तो देखा कि यहाँ पर तो टूरिस्ट रस्सी के सहारे से बर्फ के पहाड़ों की तरफ जा रहे है और वहां से टयूब पर बैठकर नीचे की ओर फिसल रहे है । हमने तो ऐसा नहीं किया लेकिन देखकर बहुत मज़ा आया ।
फिर हमने देखा की कुछ लोग याक पर बैठकर याक की सवारी का मज़ा ले रहे है । याक हमने कभी पहले टीवी या किताब में ही देखे थे लईकिन यहाँ पर तो सचमुच ही देख लिए ।
अब आपको बता दूँ कि ये लोग याक की सवारी करने के लिए 500 रुपये मंगाते है और थोड़ी देर घुमाकर उत्तर देते है ।
ये है याक जिस पर बैठाकर ये लोग बर्फ पर घूमते है
ये ट्यूब पर बैठकर फिसल रहे है
वहाँ पर बारिश हो रही है
याक
अब धर्मेन्द्र और दीपिका का फोटो
बर्फ पर खड़े है
टूरिस्ट
सोच रहे है की फोटो खिंचवाए या नहीं इसके सामने
चलो खिंचवा ही लेते हैं
हो जाओ शुरू फोटो खींचने के लिए
बर्फ पर कलाकारी के सामने एक फोटो हो जाये
बहुत खूब
अब अंदर बैठकर
अब बर्फ हाथ में लेकर एक फोटो तो बनता है ना
वाह
फूल भी लगा दिए बर्फ पर
हमने ऊपर दीपिका के कुछ फोटो खींचे थे । फोटो खींचने के दौरान ही यहाँ पर बारिश पड़नी शुरू हो गयी और बहुत ठण्डी हवा भी चलने लगी । हम आपको बता दे कि इस बार हमने गर्म कपडे यहाँ से किराये पर नहीं लिए क्योंकि हम पहले भी यहाँ आ चुके थे तो इस बार हम अपने साथ अपने कपडे लेकर आये थे । इन कपड़ो की वजह से हमें यहां पर कपडे किराए नहीं लेने पड़े । हम आपको बता दें कि यहाँ पर जो भी टूरिस्ट रोहतांग पास के लिए जाता है तो उसे गर्म कपडे की जरुरत होती है तो उसे यहाँ पर मजबूरी में कपडे किराये पर लेने पड़ते है जो महंगे मिलते है ।
तो मैं तो यही कहना चाहूंगा कि यदि आप यहाँ पर जाओ तो अपने साथ गर्म कपडे जरूर ले जाये क्योंकि यहाँ पर बहुत सर्दी रहती है ।हम यहाँ पर उस समय आये थे जिस समय पर हमारे क्षेत्र में बहुत गर्मी थी , लेकिन जब हम यहाँ पर आये तो हमें बहुत रही थी । जितनी ठण्ड हमारे क्षेत्र में पड़ती है उससे भी ज्यादा सर्दी यहाँ पर पद रही थी ।
सर्दी चाहे कितनी भी पड़े परन्तु टूरिस्टों का आना काम नहीं होता है यहाँ पर ।
मौसम ख़राब होने पर हम एक चाय वाले के पास चले गए चाय वाले ने तम्बू लगा रखा था तो हमें वहां पर थोड़ी रहत मिली । फिर हमने 3 कप चाय का आर्डर दे दिया । आपको बता दूँ की एक कप चाय 15 रुपये की थी और सूखे दूध की थी फिर भी अच्छी लग रही थी । हमने चाय के साथ परांठे भी खाए थे जिन्हे हम होटल के सामने वाले ढाबे से लेकर आये थे । इन्हे खाकर हम गाड़ी की तरफ चल दिए ।
ये बर्फ पर चलने वाली गाड़ी है जो फिल्मो में देखी होगी आपने
लगभग 20 फुट ऊँची दीवार है बर्फ की सड़क के किनारे पर
अब वापस चले नीचे
वो रहे धर्मेन्द्र जी
मौसम ख़राब होते ही हम थोड़ी देर रुकने के बाद हम गाड़ी की तरफ चल दिए । एक बात और बता दूँ आपको कि यहाँ पर लगभग 2 बजे के आसपास रोजाना मौसम ख़राब होता है । ये जानकारी हमें वहाँ पर चाय वाले ने बताई । इस समय हम इसलिए चल दिए क्योंकि हमारे ओर भी पॉइन्ट थे रुकने के लिए जो मैं आपको निचे बताता चलूँगा । सड़क के किनारे चलते हुए कुछ फोटो और खीच लिए जो निचे है ।
अब हम अपनी गाड़ी के पास जा रहे है जो कुछ दूरी पर खड़ी है
वो खड़े धर्मेन्द्र जी
बैठ गए हम गाड़ी में और शुरू कर दी फोटो ग्राफी
हमने अपनी गाड़ी को खोजा और उसमे बैठ गए । गाड़ी में बैठकर भी फोटो का खींचना जारी रहा तो बहुत अच्छे फोटो मिल गए हमें आपके लिए ।
गहरी खाई और लहराती सड़क के सुन्दर फोटो मिल गए हमें गाड़ी में बैठकर फोटो खींचने से ।
जितने भी फोटो खींचे वो सब आपके सामने है ।
देखो गहरी खाई और सड़क
ये देखो सड़क
बारिश भी पड़ रही है
अब झरने के पास आ गए हम
आगे का पॉइन्ट था वाटर फॉल ,तो हम अब वाटर फॉल आ चुके थे । यहाँ पर हमने देखा की एक छोटा सा झरना बह रहा है और पास में थोड़ी बर्फ भी पड़ी हुई है ।
तो फिर क्या था लग गए हम भी फोटो खींचने पर , हमने यहाँ पर फोटो खींचने के साथ-साथ मस्ती भी शुरू कर दी । हमने यहाँ पर भी बर्फ का एक गोला बनाया । इस बार ये पहले वालो से बड़ा था । हमने एक दूसरे के ऊपर बर्फ भी फ़ेकनी शुरू कर दी । उस बर्फ के गोले को फोड़ दिया जिसकी विडियो हमने बना ली थी और वो वीडियो यू ट्यूब पर भी भेजी हुयी है । वीडियो देखने का तरीका बताता हूँ , YOUTUBE/DJK TEAM YATRA DANKAUR पर जाकर देख सकते हैं । हमने झरने के पास से पहाड़ों का भी एक फोटो खींचा जो आपको निचे मिलेगा ये फोटो हमें बहुत अच्छा लगा । मस्ती करने के बाद हम फिर से गाड़ी में बैठकर आगे चल दिए ।
वाटर फॉल
अब कुछ फोटो हो जाये
पहले धर्मेन्द्र जी का फोटो
झरने के पास
झरने के पास से लिया गया फोटो
अब हमारी बारी
अब इन दोनों की बारी
बर्फ भी है पास में
एक बात और बता दूँ मैं आपको कि यहाँ पर आप बर्फ को खाने की कोशिश मत करना क्योंकि इस बर्फ को खाने से मुँह में छाले पड़ जाते है ।
हमारे भाई धर्मेन्द्र जी ने भी यहाँ पर बर्फ खा ली थी तो उनके मुँह में छले निकल आये थे ।
बर्फ कहते हुए के कुछ फोटो मैंने ले लिए थे जो नीचे है ।
अब कुछ कलाकारी ही हो जाये
खाने के बाद मुँह में छाले हो गए थे तुम मत खाना
अब स्टाइल में कुछ फोटो हो जाये भाई बहन के
ये मैं हूँ यानी कि जितेंद्र कुमार जी (विकलांग)
दूर से देखो झरने को
ये रहा बहता हुआ पानी
इस पेड़ और खाई को देखो
सड़क के किनारे जमी है बर्फ
पहाड़ से भी नीचे है बादल
पेड़
पहाड़ो पर बादल
वाटर फॉल से चलने के बाद हम लहराती हुयी सड़क का फोटो खींचना चाह रहे थे । पहले तो हम चलती हुयी गाड़ी से ही फोटो खींचने की कोशिश कर रहे थे लेकिन जब सही से नहीं खींच पाये तो हमने ड्राइवर से कह दिया कि हमें सड़क का फोटो खींचना है तो आप अच्छी सी जगह देखकर गाड़ी को रोक लीजिये ।
ड्राइवर साहब जी काफी अच्छे थे उन्होंने हमारे मुताबिक उन्होंने गाड़ी रोक दी और हमें फोटो खींचने की इजाजत दे दी ।
अब लहराती हुई सड़क की फोटो नीचे है ।
सड़क
लहराती हुयी सड़क
पहाड़ी रास्ते
ड्राइवर साहब ने हमें बहुत सारी जानकारी दी । उन्होंने हमें बताया कि मनाली में बहुत सारी फिल्मो की शूटिंग भी हुई है और वो जगह भी दिखाई जिस जगह पर शूटिंग होती थी ।
कुछ फिल्मो के नाम बता रहा हूँ जो ड्राइवर साहब ने हमें बताये थे फिल्मो के जिनकी शूटिंग मनाली में हुयी है ।
सबसे पहले उन्होंने वो जगह बताई जिस जगह पर हीना फिल्म की शूटिंग हुई थी, फिर वो सड़क जिस पर माँ तुझे सलाम की शूटिंग हुई थी और उसके बाद क्र्रिश फिल्म की शूटिंग की जगह भी बताई थी और ये साड़ी बाते बिलकुल सच है ।
उन्होंने हमें बताया की जिस फिल्म में कश्मीर का जिक्र किया जाता है उस फिल्म की अधिकतर शूटिंग मनाली में ही होती है मैने बहुत सारी फिल्म देखी है जिनकी शूटिंग मनाली में होती है ।
बाते करते हुए हमें ये भी पता नहीं चला कि कब कोठी गांव आ गया ।
कोठी के आने पर हमारे ड्राइवर साहब खाना खाने के लिए पर रुके जिस जगह पर उन्होंने जाते हुए खाना खाया था । हमें भी फोटो खींचने का मौका मिल गया जो आपके सामने निचे है ।
आपको एक बात और बता दें कि कोठी से ही हेलीकाप्टर की बुकिंग होती है जो रोहतांग पास तक ले जाकर बिना उतारे ही वापस ले आता है । हमारे ड्राइवर ने बताया था कि इसका किराया लगभग 2000 रुपये प्रत्येक आदमी है और यह लगभग 15 मिनट तक ही हवा में उडाता है ।
तो इतनी जानकारी होने के बाद हम भी हेलीकाप्टर में नहीं बैठे । ड्राइवर साहब जी खाना खाकर आ चुके थे तो अब हमारा पॉइन्ट था सोलांग वैली ।
अब हैं हम कोठी गाँव में
फ़ूड कार्नर
यहाँ से हेलीकॉप्टर की बुकिंग होती है
इस इस गाडी में बैठकर गए थे हम
सोलांग वैली की तरफ के पहाड़
सोलांग वैली
जब हम सोलांग वैली की तरफ जा रहे थे तो रास्ते में एक पुल आया तो ड्राइवर ने हमें बताया कि ये वही पुल है जिस पर टैंगो चार्ली फिल्म की शूटिंग हुई थी । पुल को पार करने के बाद वो पहाड़ भी दिखाया था जिस पर क्रिश फिल्म की शूटिंग हुई थी । अब हम सोलांग वैली में प्रवेश कर चुके थे । सोलांग वैली में पहुँचते ही हमने दीपिका को बॉल साथ जम्पिंग कराई । आनन्द आया , हमने भी कुछ फोटो खिंच लिए जो आपके सामने है ।
यहां पर बच्चो के खेलने के बहुत सारे साधन है और यहाँ पर बाजार की तरह दुकाने भी लगी हुई थी ।
सामने रोपवे है
ये है रोपवे जिसमें बैठकर ऊपर जाते है
सोलांग वैली में रोपवे भी था ।जिन तारो पर डिब्बो में बैठकर स्थान से दूसरे स्थान पर जाते है उसे रोपवे कहते है । टूरिस्ट रोपवे में बैठकर पहाड़ो पर जाकर पैराग्लाइडिंग करते है, लेकिन जब हम गए थे तो ऊपर के पहाड़ो से कोई भी पैराग्लाइडिंग नहीं कर रहा था, सिर्फ नीचे से ही पैराग्लाइडिंग कर रहे थे ।
हमारे पहुंचते ही रोपवे के एजेंट ने हमें आकर रोपवे में बैठने के बारे में कहा तो हमने किराया पूछा तो उसने 500 रुपये प्रत्येक आदमी बताया । फिर हमने उसे मन कर दिया क्योंकि वह जिस जगह पर उतार रहा था वो जगह ज्यादा दूर नहीं थी । लेकिन हमने फोटो जरूर ले लिए थे जो आपको निचे मिल जाएंगे ।
ये है सोलांग वैली
यहाँ पर जम्पिंग करने के लिए भी यहाँ के लोगो ने इंतज़ाम कर रखा था । जम्पिंग करने के लिए बच्चो को रबड़ से बांध दिया जाता है और उस रबड़ को मोटर से खींचकर चलाया जाता है । हमने दीपिका को भी उससे जम्पिंग कराई । 25 जम्प करने के 100 रुपये लिए थे, लेकिन मज़ा आ गया था जम्पिंग में ।
दीपिका ने बताया कि जब वह ऊपर जाती थी तो उसे बर्फ के सफ़ेद पहाड़ नज़र आते थे , लेकिन जैसे ही निचे आती तो उसे दर लगाने लगता था ।
बड़े आदमियों के लिए भी एक जम्पिंग का इंतज़ाम था जिसका फोटो निचे है ।
सामने जम्पिंग करने का इंतजाम भी है
बच्चो के लिए बहुत खूबसूरत जगह है ये
रोपवे का 500 रुपये का चार्ज है
रोपवे यानी कि तारो पर चलने वाले डिब्बे
इन बोलों के अंदर आदमी को घुसकर ऊपर से लुढ़काते हुए लाते है
ये जो ऊपर बॉल देखि है आपने इनको सबसे पहले थोड़ी ऊंचाई पर ले जाया जाता है , फिर उसके अंदर 5-6 आदमियों को घुसाकर ऊपर से लुढ़काया जाता है । इसका किराया पूछा तो हमें बताया कि एक चक्कर के 500 रुपये है । रुपये इतने ज्यादा है कि मानो कोई बड़ा ही आदमी इसके लिए इतने खर्च करेगा ।
हम खर्चे को बड़े हिसाब से करते है । यहाँ पर सारा सामान मंहगा मिलता है ।
कुछ भी हो पॉइंट बहुत अच्छा है यहाँ का यदि जाओ तो यहाँ पर जरूर जाना । यहाँ नहीं गए तो आपका मनाली जाना बेकार है क्योंकि यहाँ पर बचो और बड़ो के लिए बहुत कुछ है खेलने के लिए और अपनी यादों को बनाये रखने के लिए ।
सोलांग वैली , मनाली
यहाँ से निकलने के बाद रास्ते में नेहरू कुण्ड पड़ता है , यहाँ का पानी एकदम साफ है और हम इसे पी भी सकते है । ड्राइवर साहब साहब ने हमें बताया कि जब भी नेहरू जी यहाँ पर आते थे तो इसी कुण्ड का पानी पिया करते थे । इस बार भी हमने इस कुण्ड का पानी पिया । पानी बहुत साफ था और ठंडा भी ।
पानी पीने के बाद हम अपने होटल, होटल हाईवे इन् की ओर चल दिए । होटल पहुचने के बाद हमने खाना खाया और सो गए ।
अगले दिन हम बस से दिल्ली के लिए चल दिए ।
( समाप्त )
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